Friday, 5 July 2019

माँ से ही तो जहां है

मैंने देखा है उस औरत को
रात दिन माला फेरते हुए
ईश्वर का नाम लेते हुए
वह यह सब किसके लिए करती है
जवाब मिला
अपनी संतान के लिए
पहले जन्म दिया
बडा किया
आत्मनिर्भर बनाया
अब शरीर बूढा हो गया है
पर कांपती ऊंगलियों से माला फेरना जारी है
संतान की सलामती के लिए ईश्वर से दुआ मांगती है
वह माँ है
ईश्वर उसकी जल्दी सुनेगा
किसी मा की प्रार्थना को ईश्वर भी भला कैसे नजरअंदाज
कर सकते हैं
उसे विश्वास है अपनी प्रार्थना की शक्ति पर
वह तो वह शख्स है
जिसके कदमों में सृष्टि के रचयिता को भी नतमस्तक होना पडा है
निस्वार्थ प्रेम वह माँ का ही
कुछ न दे
बस माँ दे दे
सब कुछ अपने आप मिल जाएगा
माँ से ही तो जहां है

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