हर पिता अपना नाम देता है
जमीन जायदाद देता है
रूपया पैसा देता है
खाना कपडा देता है
प्यार अधिकार देता है
साथ में संस्कार भी देता है
उसको स॔भाल कर रख लिया
तब और कुछ संभालने की जरूरत नहीं रह जाती
संस्कार अच्छे हो
तब संसार मे आसानी से रहा जा सकता है
जरूरत है
संस्कार देने की नहीं
उस पर अमल करने की
पिता संस्कारी हो तो
संतान अवश्य हो जाएगी
कहावत है न
देखा देखी धरम करी
देखा देखी पाप
बच्चों के सामने आदर्श उपस्थित करना
यह भी पिता की जिम्मेदारी
उसीकी जवाबदेही
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