आज भी वही ध्वनियां कानों में गूंजती है
मन उनसे मिलने को करता है
उनसे बातें करने को करता है
कहानियाँ सुनाने को करता है
उनके सामने बैठ कर रौब झाड़ने को करता है
आते जाते नमस्ते और गुड मार्निग सुनने की
उनकी मुस्कराहट देखने की
उनका फुसफुसाकर बोलना
उनका बडबडाना
उनका बात न सुनना
परीक्षा में चींटिग करना
आगे पीछे देखना
ईशारेबाजी करना
कभी-कभी धीरे से फब्तियां कसना
झूठ बोलना ,बरगलाना
होमवर्क पूरा न करना
चुपके से कार्टून बनाना
टिफिन खाना चुपचाप
वाशरूम का बहाना बनाना
एक दूसरे की शिकायत करना
डाट का भी असर न पडना
यह सब बातें होती हुई भी
एक अलग सा लगाव
एक अपनापन
तो जरूर था इस रिश्ते में
आज कहीं न कहीं मिस कर रही हूँ
सही भी है
मैं उनकी मिस जो ठहरी
आज मैं उस जगह पर नहीं
पर उनकी वह आवाज
नमस्तेतेतततततंअंअंअंअंअं
आज भी कानों में गूंजती है
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
No comments:
Post a Comment