Saturday, 6 July 2019

आज भी कानों में गूंजती है

आज भी वही ध्वनियां कानों में गूंजती है
मन उनसे मिलने को करता है
उनसे बातें करने को करता है
कहानियाँ सुनाने को करता है
उनके सामने बैठ कर रौब झाड़ने को करता है
आते जाते नमस्ते और गुड मार्निग सुनने की
उनकी मुस्कराहट देखने की
उनका फुसफुसाकर बोलना
उनका बडबडाना
उनका बात न सुनना
परीक्षा में चींटिग करना
आगे पीछे देखना
ईशारेबाजी करना
कभी-कभी धीरे से फब्तियां कसना
झूठ बोलना ,बरगलाना
होमवर्क पूरा न करना
चुपके से कार्टून बनाना
टिफिन खाना चुपचाप
वाशरूम का बहाना बनाना
एक दूसरे की शिकायत करना
डाट का भी असर न पडना
यह सब बातें होती हुई भी
एक अलग सा लगाव
एक अपनापन
तो जरूर था इस रिश्ते में
आज कहीं न कहीं मिस कर रही हूँ
सही भी है
मैं उनकी मिस जो ठहरी
आज मैं उस जगह पर नहीं
पर उनकी वह आवाज
    नमस्तेतेतततततंअंअंअंअंअं
आज भी कानों में गूंजती है

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