शोर तो शोर है
वह घर में हो या सडकों पर
धरती पर हो या आकाश में
शादी बारात या कोई कार्यक्रम
मन में हो या बाहर
कभी चैन नहीं लेने देता
शोर का स्वभाव ही है शांतता भंग करना
पर शोर बिना काम भी नहीं बनता
शोर मचा तभी सबने जाना
शोर बिना सब सूना
यह सुकून देता है
सुकून छीनता है
अपना महत्व जताता है
कभी कभी यही शोर किसी को जमीन पर ला पटकता
कभी-कभी किसी को तख्तोताज तो कभी तख्तापलट
शोर चोर को साहूकार ,साहूकार को चोर
ईमानदार को बेईमान ,बेईमान को ईमानदार
शोर मचाने वालों की दुनिया सुनती है
बच्चा भी जब तक रोता नहीं ,उसे दूध नहीं मिलता
शोर पर शोध होना चाहिए
आवाज दबाने और आवाज उठाने की जबरदस्त शक्ति
शोर मे आवाज दबती भी है
सुनाई भी देती है
इसके दो पहलू है
कोई भी दिशा मोडने की जबरदस्त क्षमता
तभी तो जहाँ देखो वहाँ शोर
इसका अपना अलग अंदाज
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