Monday, 18 November 2019

हम हार मानने वालों में से नहीं

परिस्थितियां विपरित हो सकती है
उन पर आपका कोई वश नहीं
यह तो अंजान है
अकस्मात आती है
हम देखते रह जाते हैं
क्या सोचा क्या हो जाता है
तब क्या किया जाए
निराशा का दामन थाम ले
जीवन से हार मान ले
सब कुछ छोड़ दें
उससे क्या होगा
सब कुछ सही हो जाएगा
सब आपके मन माफिक हो जाएगा
यह तो संभव नहीं
तब फिर क्यों न उसमें से रास्ता तलाश कर ले
उसे अपने अनुरूप बना ले
कहीं न कहीं कुछ तो होगा
जहाँ जीवन हंसता हुआ दिखेगा
अंधेरे में दीए की रोशनी ही बहुत है
तब उसमें से भी रास्ता ढूंढ लेना
यह भी जीवन की कला है
क्या बनना चाहते थे
क्या करना चाहते थे
क्या हो गया
क्या बन गए
पर जो भी बने
वह भी तो कम नहीं
यह तो हमें साबित करना है
हौसला हमें कायम रखना है
जीवन के अनुरूप ढल जाना है
या अपने अनुरूप ढाल लेना है
विश्वास स्वयं पर रखना है
हम हार मानने वालों में से नहीं

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