Saturday, 23 November 2019

जब तक सांस है

जिंदगी एक दौड़ है
सब दौड़ रहे हैं
अपने अपने सामर्थ्य अनुसार
कोई आगे
कोई पीछे
कोई दाएं
कोई बाएं
कोई साथ साथ
कोई कमजोर
कोई बलवान
कोई दुबला
कोई मोटा
कोई नाटा
कोई लंबा
कोई सामान्य कद काठी
कोई खुबसूरत
कोई बदसूरत
कोई काला
कोई गोरा
कोई बुद्धिजीवी
कोई मूर्ख
कोई सामान्य
कोई अमीर
कोई गरीब
कोई शिक्षित
कोई अनपढ़
कोई वृद्ध
कोई बालक
कोई जवान
कोई स्री
कोई पुरुष
यहाँ हर कोई अपने दौड़ में व्यस्त
बस अपनी दौड़ दौड़ते रहे
बैठना नहीं है
दौड़ तो लगाना है
तब तक जब तक सांस है

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