जिंदगी एक दौड़ है
सब दौड़ रहे हैं
अपने अपने सामर्थ्य अनुसार
कोई आगे
कोई पीछे
कोई दाएं
कोई बाएं
कोई साथ साथ
कोई कमजोर
कोई बलवान
कोई दुबला
कोई मोटा
कोई नाटा
कोई लंबा
कोई सामान्य कद काठी
कोई खुबसूरत
कोई बदसूरत
कोई काला
कोई गोरा
कोई बुद्धिजीवी
कोई मूर्ख
कोई सामान्य
कोई अमीर
कोई गरीब
कोई शिक्षित
कोई अनपढ़
कोई वृद्ध
कोई बालक
कोई जवान
कोई स्री
कोई पुरुष
यहाँ हर कोई अपने दौड़ में व्यस्त
बस अपनी दौड़ दौड़ते रहे
बैठना नहीं है
दौड़ तो लगाना है
तब तक जब तक सांस है
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Saturday, 23 November 2019
जब तक सांस है
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment