हर सुबह हम काम पर जाते समय
सोचते हैं
आज क्या पहने
कल वाला नहीं पहनना है
दूसरा वाला भी नहीं
वह तो अभी पिछले हफ्ते पहना था
हम कितना सतर्क रहते हैं पहनने को लेकर
लोगों में अपना प्रभाव बैठाना है
स्वयं को अच्छा महसूस कराना है
कल का कपड़ा मैला है
वह कैसे पहने
तब कल का विचार क्यों
कल जो हुआ सो हुआ
आज तो अच्छा महसूस करें
कपड़े के साथ और कुछ गहने भी धारण कर ले
फिर अपना रूप दर्पण में निहारे
मन प्रफुल्लित और प्रसन्न
तब क्यों न नकरात्मक विचार को छोड़
सकारात्मक विचार अपनाए
कुछ नया करें
मन को भी कपडों जैसे
हर रोज नई खुराक की जरूरत होती है
कपड़ा पुराना हो जाय
रंग फीका पड जाय
तब अलमारी से बाहर कर देते हैं
नये लेकर आते हैं
तब कष्ट दायक विचारों को मन की अलमारी से
बाहर कर ही सकते हैं
नवीन को अपनाए
नहीं पसंद है उसे छोड़ दे
इन बातों से जीवन कहीं ऊपर है
उसे जी भर कर जीए
अपने अनुरूप जीए
यह हमारी च्वाइस है
किसी और की नहीं
किसी की ख्वाहिश को अपनी च्वाइस को हावी न होने दें
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