संमुदर में तो उतरना ही है
अपनी नाव लेकर
अब डर के किनारे ही रहे
बीच मझधार में चले जाय
यह तो हमको तय करना है
हर नाव को डूबा ही देगा समुंदर
यह कैसे संभव है
हाँ कुछ हिचकोले खाती है
कुछ पलट कर फिर सीधी हो जाती है
हर बार ऐसा नहीं होता
तब संतान को भी संसार के समुंदर में छोड़ देना है
हर संकट का सामना करने देना है
हर चुनौती को स्वीकार करने देना है
हर थपेडों को सहना सिखाना है
आंधी तूफान का सामना करना सिखाना है
गोते लगाने देना है
कब तक डरते रहेंगे
कब तक रक्षा करते रहेगे
कब तक सब छिपाकर रखेंगे
स्वयं ही डूबने उतरने दे
जीवन का भिन्न-भिन्न एहसास लेने दे
इतने बडे संसार सागर में उतरने दे
वह भलीभाँति सब जानेगा
सीखेगा
अनुभव करेंगा
आप बस किनारे पर खडे रहिए
देखते रहिये
अगर डूब रहा है
तब अपनी रस्सी तैयार रखिए
संतान को संसार के समुंदर में छोड़ना है
हर हाल में रहना
हर परिस्थिति का सामना
यह तो उसे सीखना ही है
कब तक अपनी छत्र-छाया में रखेंगे
लहरों में तो उतरना ही है
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