हम डरे हुए हैं
ऑखे खोली तो इसी देश में
हमारे पूर्वज भी यही के
फिर ऐसा क्यों ??
प्रमाण मांगा जाएंगा
पता नहीं कौन से
कहाँ से लाएंगे
हमारी पैदाइश तो उस समय की है
जब घर पर ही बच्चा जन्मता था
पाठशाला में दाखिला हुआ
अंदाज से लिखा दिया गया
हम तो उस देश के वासी हैं
जहाँ हमारे महापुरूषो के भी जन्म तिथि स्पष्ट नहीं है
कबीर कब जन्मे
तुलसी कब जन्मे
कौन जाने
राम जी का जन्म हुआ था या नहीं
जायसी के काव्य की कोई पद्मावती थी या नहीं
हमारे यहाँ सब पीढी दर पीढी स्थानांतरित होती रही
किस्से कहानियों के माध्यम से
आज जब हम आधुनिक युग के निवासी हैं
जब विश्व गुरु बनने के सपने देख रहा है देश
तब साक्ष्य भी चाहिए
हमारा इतना गौरवशाली इतिहास
हमारी वैज्ञानिक दृष्टिकोण
विज्ञान आधारित धर्म
साहित्य और योग
सब इसी अभाव में प्रकाश में नहीं आए
अब तो सचेते
जन्म का नहीं दूसरा और तो कुछ होगा
प्रमाण दे
और एक अपनी विशेष पहचान बनाए
आपके नाम का कार्ड
आपके नागरिक होने की पहचान
जो हमेशा आपके पास और साथ
तब जेब में रखकर अपने देशवासी होने का गर्व
फिर हिचक क्यों ?
सरकार को साथ दे
अपनी नागरिकता को कन्फर्म करें
एक जिम्मेदार नागरिक का फर्ज निभाए
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