पेड़ से पत्ते गिरते हैं
फूल गिरते हैं
फल गिरते हैं
वह विचलित नहीं होता
अपना काम करता रहता है
नव निर्माण जारी रहता है
वह न उदास होता है
न बिसुरता है
आंधी - तूफान सब सहता है
जडो को कस कर पकड़े रहता है
कोई उसे हिलाता है
कोई पत्थर मारता है
कोई डाली तोडता है
पर वह है कि
हमेशा कार्यरत रहता है
बहुत कुछ खोता है
पर खोने का दुख नहीं करता
फूल गिर गए
नया आएगा
यह प्रक्रिया अनवरत चलती रहती है
पतझड़ भी आता है
वसंत भी आता है
वह ,वहीं का वहीं
अपने में मगन
दाता भी है
देने में कोई कसर नहीं छोड़ता
हर कोई उसका अपना
कोई भेदभाव नहीं
छांव तो वह सबको देता है
अमीर हो या गरीब
सबका है वह
प्राण वायु देता है
भले उसको काटा जाय
पर वह अपना कण-कण
समर्पित करता है
जीता है तब भी
मरता है तब भी
हर हाल में देता है
जीवन जीना तो कोई उससे सीखे
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