एक घर हो अपना
यह हर इंसान का सपना
जहाँ अपना हो राज
नहीं किसी का दखलंदाज
अपनी मर्जी के मालिक हम
नहीं कोई दवाब
जैसा चाहे वैसा रहना
जैसा चाहे वैसा रखना
जहाँ चाहे वहाँ विचरण
सारी दुनिया से अलहदा
ऐसा हो अपना आशियाना
खूबसूरत हो
आकर्षक हो
हवादार हो
प्रकाशमय हो
फैलाव हो
आरामदायक हो
शांत परिसर में हो
सब कुछ हो जिसकी जरूरत हो
यही सपना संजोता है हर कोई
उस सपने को हकीकत में बदलने की कोशिश
सारी जिंदगी जुगाड़ करता है
पाई पाई जोड़ता है
बचत करता है
एक सपने को पूरा करने की खातिर
बहुत सारे सपनों को मारता है
तब जाकर एक अदद घर तैयार होता है
जब रहने की बारी आती है
तब तक उसका वारिस तैयार हो जाता है
अब तक तो थे घर में
अब बरामदे में वास
ताकते हुए
निहारते हुए
सोचते हुए
यह घर अपना है
हमारा है
बेगाना है
सपना है
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