कभी के दोस्त
कभी के हमसफर
कभी के हमराज
कभी के अजीज
जब बदलते हैं
तब बहुत तकलीफ होती है
वह असह्य होती है
दुश्मन से तो हम सावधान
पर जो दोस्त होते हैं
उनके तो अंतरंग
हमारा हर भेद
हमारी हर समस्या
हमारे दिल की बात
सब बांटते हैं
जब वही बेगाना हो जाता है
तब हम मायूस हो जाते हैं
अपने ऊपर कोफ्त होने लगती है
हम स्वयं को अपराधी महसूस करने लगते हैं
हम इतना नजदीक क्यों आ गए
क्यों इतना हिलमिल गए
क्यों इतना विश्वास किया
क्यों दिल के हाथों मजबूर हो गए
पर क्या करें
स्वयं को नियंत्रित कर सकते हैं
दूसरा तो हमारे वश में नहीं
सही है
सब कुछ भाग्य से ही मिलता है
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