Wednesday, 13 May 2020

यह वक्त कभी नहीं भूलनेवाला

आपदा आती है
और चली जाती है
सदियों तक अपने निशान छोड़ जाती है
लोग भूल भी जाएंगे
पर उनका क्या
जो बदहाल हो गए
जिनकी रोजी रोटी चली गई
जो सडक पर आ गए
जो चलते चलते हादसो के शिकार हो गए
जिनके अपने चले गए
जो अनाथ हो गए
जो बेघरबार हो गए
जो भी इस त्रासदी का शिकार हुआ होगा
क्या ताउम्र भूल पाएगा
उनके दिल पर जो घाव लगा है
क्या वो मिट पाएंगा
कुछ बनने में उम्र गुजर जाती है
उजडने में वक्त भी नहीं लगता
भूलना और संवरना इतना आसान नहीं होता
मानव है
उसके पास दिल है
जज्बात है
सबसे ज्यादा तो वह सोचता है
जब जब सोंचेगा
पीछे मुड़कर देखेगा
ऑखों के कोरो पर ऑसू तो जरूर झिलमिलाएगे
उसका हदय तो जरूर दुखेगा
अगली पीढ़ी तो इससे अंजान
पर इस पीढ़ी को यह सब कभी नहीं भूलनेवाला

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