मैं गाडी में बैठी थी
ट्रैफिक सिग्नल पर गाडी खडी थी
दस साल के करीब का बच्चा फूल - हार और तोरण बेच रहा था
फटे मैले कुचैले कपडों में
आज भगवान को फूल हार चढाना
दरवाजे पर तोरण बांधना
यह तो चला आ रहा है त्यौहार पर
सोचा ले लूं
कितने का ??
अरे इतना मंहगा
कुछ कम करों
पर्स में हाथ गया
अचानक अंदर से आवाज आई
छोटा बच्चा है
हमारे घरों के इतने बडे बच्चे तो हाथ से दूध लेकर भी नहीं पीते हैं
यह फूल हार बेच रहा है
एक बात है
भीख नहीं मांग रहा
ईश्वर का दरबार तो सजेगा
घर का द्वार भी तोरण बंदनवार से खूबसूरत लगेंगा
क्यों न आज इसका दिन भी बना दिया जाय
इसके भी त्यौहार को सजा देते हैं
कुछ एक्स्ट्रा पैसे दे देते हैं
भाव तोल क्या बच्चे से
इसकी प्यारी सी मुस्कान की कीमत अदा कर देते हैं
यह रख लो
इतना
हाँ इतना , ले लो
यह मिठाई भी लो ।
एक डिब्बा परिजनों के लिए डिब्बे में से
आज जी भर कर दीवाली मनाना
सलाम मैडम कहता हुआ भाग गया
उस समय उसके होठों पर जो हंसी की फुलझड़िया छूटी
उसके सामने तो बारूद वाली फुलझड़िया और अनार भी फीके पड़ गए
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
No comments:
Post a Comment