Friday, 20 November 2020

उस बच्चे की मुस्कान

मैं गाडी में बैठी थी
ट्रैफिक सिग्नल पर गाडी खडी थी
दस साल के करीब का बच्चा फूल - हार और तोरण बेच रहा था
फटे मैले कुचैले कपडों में
आज भगवान को फूल हार चढाना
दरवाजे पर तोरण बांधना
यह तो चला आ रहा है त्यौहार पर
सोचा ले लूं
कितने का ??
अरे इतना मंहगा
कुछ कम करों
पर्स में हाथ गया
अचानक अंदर से आवाज आई
छोटा बच्चा है
हमारे घरों के इतने बडे बच्चे तो हाथ से दूध लेकर भी नहीं पीते हैं
यह फूल हार बेच रहा है
एक बात है
भीख नहीं मांग रहा
ईश्वर का दरबार तो सजेगा
घर का द्वार भी तोरण बंदनवार से खूबसूरत लगेंगा
क्यों न आज इसका दिन भी बना दिया जाय
इसके भी त्यौहार को सजा देते हैं
कुछ एक्स्ट्रा पैसे दे देते हैं
भाव तोल क्या बच्चे से
इसकी प्यारी सी मुस्कान की कीमत अदा कर देते हैं
यह रख लो
इतना
हाँ इतना , ले लो
यह मिठाई भी लो ।
एक डिब्बा परिजनों के लिए डिब्बे में से
आज जी भर कर दीवाली मनाना
सलाम मैडम कहता हुआ भाग गया
उस समय उसके होठों पर जो हंसी की फुलझड़िया छूटी
उसके सामने तो बारूद वाली फुलझड़िया और अनार भी फीके पड़ गए

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