Monday, 4 January 2021

युद्ध और प्यार

युद्ध और प्यार में सब जायज है
अक्सर ऐसा कहा जाता है
दोनों में ही लडना पडता है
एक में अपने सैन्य दल के साथ
दूसरे में मन से
हार और जीत
होगी या नहीं
कोई नहीं जानता
फिर भी पूरी शक्ति लगा दी जाती है
जीत और हार हो भी जाती है
उसका परिणाम भी मिल जाता है
बाद की कसक बरसों तक बनी रहती है
युद्ध में तो जान - माल की हानि होती है
उसकी पूर्ति करना असंभव
जो गए वे वापस तो नहीं आएंगे
प्यार में भी अपनों से
रिश्तेदारों से
जंग लडनी पडती है
मान गए तो ठीक
बाद की परिस्थिति और भी विकट
जंग लडा ही न जाएं
सोच समझ कर
सलाह कर
अनुमति और मान - मनौवल कर
वही रोक दिया जाएं
कोई भी जंग जायज नहीं
हानि के सिवाय कुछ हासिल नहीं

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