Tuesday, 5 January 2021

एक औरत

मैं उस घर में गई थी
नए-नए सपनों के साथ
आंकाक्षाओं के साथ
नई जिंदगी की शुरुआत
वह किस तरह हुई
मार - पीट और ताने से
पहले तो समझ नहीं आया
मेरा कुसूर क्या है
कुछ समय बाद आया
औरत होना है
सहती रही
पीटती रही
और डरपोक बनती गई
सबकी इज्जत का सवाल जो था
मायके और ससुराल का
माँ भी बन गई इसी बीच
दो प्यारे - प्यारे बच्चों की
अब तो उनके लिए भी सहने लगी
हद तो तब हो गई
जब वो भी इस यातना का हिस्सा बनने लगें
उनके साथ भी मार पीट
यह देख मुझमें
सोई हुई शेरनी जाग उठी
माँ सब सह सकती है
बच्चों के लिए
पर बच्चों पर ऑच न आने दे सकती है
वह पशु-पक्षी हो तब भी
वह तो मानवी है
उठ खडी हुई
बस हुआ अब और नहीं
अब वह साधारण औरत नहीं
शक्तिशाली माँ है
आज तक जो कदम न उठे
वह आज उठ पडे
हाथ पकड़ चल पडी संतान की
नई डगर नई राह
फिर एक नयी शुरुआत

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