तुम हमें जानते नहीं
हम बडे सख्त हैं
हम पर किसी की बात का असर नहीं
मनमानी और मन की करते हैं
हाँ इतना जरुर करते हैं
किसी का दिल न दुखे
यह ध्यान में रखते हैं
कुछ हमें स्वार्थी कहते हैं
कुछ मतलबी कहते हैं
कुछ घमंडी कहते हैं
तब हम क्या करें
हम अपने में मगन रहते हैं
लोगों की परवाह हम नहीं करते
वह किसे छोड़ती है
न गांधी को
न बुद्ध को
यहाँ तक कि प्रभु श्रीराम को भी
तब हम नाचीज क्या चीज है
अपना तो फंडा है भाई
मस्त रहने का
अपना काम करने का
न लेना न देना
मगन रहना ।
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