Sunday, 10 October 2021

वह ,वह न रहें

चले थे हम साथ-साथ
हाथ पकड़ा था मजबूती के साथ
प्यार और विश्वास के साथ
अचानक वह पकड़ कमजोर पडने लगी
इसका एहसास तक नहीं हुआ
जब तक समझ पाते
तब तक देर हो चुकी थी
तुम दूर जा चुके थे
वह भी आहिस्ता- आहिस्ता खिसक लिए
कानोकान  खबर न होने दी
मैं प्रेम में डूबती - उतराती रही
किनारे पर पहुंचने के पहले ही बीच मंझधार में छोड दिया
यह विश्वास का क्या खूब सिला दिया
तुम तो तुम न रहें
हम भी वह ,वह न रहें

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