चले थे हम साथ-साथ
हाथ पकड़ा था मजबूती के साथ
प्यार और विश्वास के साथ
अचानक वह पकड़ कमजोर पडने लगी
इसका एहसास तक नहीं हुआ
जब तक समझ पाते
तब तक देर हो चुकी थी
तुम दूर जा चुके थे
वह भी आहिस्ता- आहिस्ता खिसक लिए
कानोकान खबर न होने दी
मैं प्रेम में डूबती - उतराती रही
किनारे पर पहुंचने के पहले ही बीच मंझधार में छोड दिया
यह विश्वास का क्या खूब सिला दिया
तुम तो तुम न रहें
हम भी वह ,वह न रहें
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Sunday, 10 October 2021
वह ,वह न रहें
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment