आकाश का चांद भी आज घबराएगा
ऊपर से झरोखो से झांकेगा
निकलने में देरी करेंगा
उसे पता है
आज नीचे धरती पर चांद ही चांद है
एक से एक बढकर
खूबसूरत, सौंदर्य में लाजवाब
सबको मेरी प्रतीक्षा
वह अपने पर इतराएगा भी
सब मेरा दीदार करने को आतुर
रोज तो लोग देखते ही हैं
आज किसी और को देखेंगे
जन्मों के नातों को मजबूत करेंगे
अपने सुहाग के लंबे जीवन की कामना करेंगे
बिना खाए - पीए व्रत करेंगे
इतनी तपस्या इतना प्रेम
कितना सुंदर है
धरती का यह जीवन
मैं तो अकेला चलता हूँ
आज यह तो साथ साथ रहेंगे जोड़ों में खिलेगे
छलनी से अपने चांद को देख पानी पीएगे
मुझे देखे बिना
अपने प्रियतम का दीदार कैसे
मुझे अच्छा लगता रहा है
सबकी निगाहें आसमान पर मेरी प्रतीक्षा में
और मैं धरती के चांद को निहार रहा
एक चांद दूसरे को ।
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