Friday, 29 October 2021

मैं तो निष्पक्ष हूँ

कुछ लोग निष्पक्ष रहते हैं
अंग्रेजी में कहें तो न्यूट्रल
मेरा तो सबसे अच्छा संबंध है
गलत को गलत नहीं कहना
जानते - बुझते चुप रह जाना
अपनी इमेज को बनाएं रखना
ऐसे बहुत से आसपास हैं
वह किसी के अपने नहीं  हो पाते

द्रौपदी चीरहरण हो रहा था
भीष्म चुपचाप सर नीचा कर बैठे थे
हस्तिनापुर का साथ देना था
पिता को दी हुई प्रतिज्ञा आडे आ गई
चाहते तो वहीं दुर्योधन को सबक सिखा सकते थे
पर नहीं उन्होंने ऐसा नहीं किया
दूसरी तरफ महात्मा विदुर थे
जब अति हो गई
उन्होंने राज्य और दुर्योधन को त्याग दिया
कृष्ण मिलने आए तो विदुर जी के घर गए
प्रेम से साग खाया
वह भीष्म के महल नहीं गए

जटायु पक्षी  था
वह कमजोर था बलशाली रावण के समक्ष
फिर भी अपनी पूरी क्षमता से लडा
एक स्त्री को बचाने के लिए जान भी दांव पर लगा दी
राम को सीता की जानकारी दी
राम उन्हें गोद में लेकर रो रहे थे
पिता की तरह उनका भी अंतिम क्रियाकर्म किया

एक औरत को भरी सभा में नग्न किया जा रहा था
अपनी ही कुलवधू को इस तरह अपमानित होते देख भीष्म चुप रहें
एक नारी का अपहरण हो रहा था
बलपूर्वक उसे ले जाया जा रहा था
उसके बारे में न जानते हुए भी गिद्ध राज जटायु ने अपने प्राणों की आहुति दे दी
यही अंतर था दोनों में
तभी एक तरकश की शय्या पर
दूसरा साक्षात ईश्वर की गोद में

निष्पक्ष,  निष्ठा से किसी एक का नहीं होता
वह स्वयं से प्रेम करता है
तभी विभिषण बदनाम
कुंभकर्ण के प्रति कोई दुर्भावना नहीं
वह राम को ईश्वर मानते हुए भी
अपने भाई के साथ
गलत होते हुए भी
कर्ण का अपने मित्र के साथ
न कुंती न कृष्ण की किसी बात का असर हुआ
सिंहासन के मोह से ज्यादा दोस्त की दोस्ती को तवज्जों दी ।

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