कहा जाता है नवरात्रि अधर्म पर धर्म की असत्य पर जीत का प्रतीक है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन्हीं नौ दिनों में मां दुर्गा धरती पर आती है और धरती को उनका मायका कहा जाता है. उनके आने की खुशी में इन नौ दिनों में नव दुर्गा की आराधना की जाती है ।शक्ति स्वरूपा माँ के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है ।
हमारी परम्परा में नारी को पूजनीय माना गया है।
शक्ति स्वरूपा है ।हिमालय राज की पुत्री तो शिवशंकर की अर्धांगनी के साथ-साथ महिषासुर मर्दिनी भी है । संसार ही उनके बिना अधूरा है तभी तो नवरात्र में कन्याओ की पूजा की जाती है ।उन्हें खिलाया जाता है ।सम्मान दिया जाता है ।ये प्रतीक है माता की ।
नवरात्रि का पर्व मनाने की सबकी अपने - अपने ढंग है ।गुजरात में गरबा तो बंगाल में काली । लेकिन हर हिन्दू माँ की आराधना करता ही है । मंदिरों में और शक्ति पीठों पर भीड़ रहती है फिर वह चाहे वैष्णो देवी हो ,मैहर देवी हो ,नैना देवी हो ,विधंयाचल देवी हो ,महालक्ष्मी हो या फिर मुंबई की मुम्बा देवी ।भक्त माता के दर्शन के लिए आतुर ही रहते हैं।
नवरात्रि का पर्व बहुत कुछ सिखा जाता है । बिना माँ के आशीर्वाद के सब अधूरा है ।आज भ्रूण हत्या हो रही है ।गर्भ में ही कन्या को मारा जा रहा है ।सृष्टि की जन्मदात्री नहीं रहेंगी तो यह सृष्टि कैसे चलेगी ।
हम जननी का अपमान कर रहे हैं ।पुत्री का नाश कर रहे हैं ।धरती को खतम कर रहे हैं तब हम कैसे बचेंगे ।
नवरात्रि में माँ दुर्गा का आशीर्वाद ले ।हर बुराई से दूर रहे । माँ सभी पर कृपा बनाए रखें। हर बरस आए साथ में ढेरों खुशियाँ लाएं । हमारे यहाँ उत्तर भारत में भोर अंधेरे ही उठ कर पूजा की जाती है और भोग लगाया जाता है ताकि माँ किसी और के यहाँ पहले न चले जाए हमारा दरवाजा बंद देखकर ।
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