Friday, 10 December 2021

हमारे वीर जवान

भारत की वो आन थे
भारत की वो बान थे
भारत की वो शान थे
जब गिरे होगे वे धरती पर
तब धरती माता भी रोईं होगी
वह चट्टान भी कोमल हो गया होगा
जब उससे हमारे जवान टकराए होगे
वह बादल भी पछताया होगा
प्रकृति भी जार जार रोयी होगी
वतन पर मिटना तो था उनको
इस तरह धुंध में  नहीं
धोखे में नहीं
क्या हुआ
क्यों हुआ
कैसे हुआ
इसका कारण तो ढूंढना ही है
बलिदानी मारे गए
धुधंलके के कारण
प्रकृति भी पछता रही होगी
यह क्या हुआ
भारत माता अपने सपूतों की मृत्यु का हिसाब मांग रही होगी
जिसका उत्तर किसी के पास नहीं
सब निशब्द हैं
अवसाद ग्रस्त हैं
एक साथ इतने लालों को खोया है
उसकी क्षतिपूर्ति तो हो ही नहीं सकती।

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