Sunday, 16 February 2025

खुद पर गुरुर

हम चलते रहें
हासिल भी करते रहें
कुछ सफलता मिली 
कहीं निराशा भी 
क्या हम रीते रहे
ऐसा नहीं है 
बहुत कुछ पाया भी 
पर बहुत कुछ खोया भी
इस खोने - पाने के चक्कर में 
कुछ ऐसा छूट गया
वह फिर वापस नहीं आने वाला 
वे पल वे लम्हें 
फुरसत नहीं मिली 
कभी बैठकर निहारे समुंदर किनारे
कुछ सुकुन का पल व्यतीत करें 
कभी ऐसे ही गुफ्तगू करें 
पार्टियां करें सिनेमा देखे 
दोस्तों संग पिकनिक मनाए 
अच्छे परिधान पहन इतराए
शीशे के सामने खड़े रह मुस्कराते
बालों के लट को आहिस्ता से सुलझाए 
कभी बच्चों की मनुहार करें
कभी उनकी मनपसंद भोजन बनाए 
कभी होटल में बैठ में स्वाद का लुत्फ उठाए 
ईश्वर की पूजा करें ध्यान मग्न
कीर्तन- भजन में शामिल हो 
गुरु बनाए और उनका आशीर्वाद लें 
कभी थकान कभी आलस कभी आराम का खुमार 
सब कुछ हुआ भागम-भाग में
बहुत कुछ जल्दी - जल्दी में 
कभी समय की कमी की वजह
कभी कुछ और वजह
कभी फर्ज तो कभी कर्म 
कभी मजबूर तो कभी मजबूत 
कभी इच्छानुसार तो कभी अनिच्छावश 
कभी रोकर कभी मुस्करा कर
कभी मन से कभी मन मारकर 
किया भी करना भी पड़ा 
कोई बात नहीं 
यही तो जीवन है 
खुशी देकर हंसी पाई है 
गम को धता बताया
अपने बल पर परचम फहराया 
न गिरी न किसी को गिराया 
अपने सामर्थ्य को पहचाना 
हार कर जीतना और जीत कर हारना 
यह कला बखूबी जानते हैं 
तभी तो खुद पर गुरुर करते हैं 

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