वह साथ बिताए क्षण
जेहन में सब हैं
कुछ हैं कुछ नहीं
कुछ इस जगत में
कुछ रुखसत कर दूसरी दुनिया की सैर पर
सफर जिंदगी का साथ चला था उनके
यादों में ताजा अब भी
वह अपनापन
वह प्यार
वह नोक-झोंक
कुछ भी तो नहीं भूला
आज सब अपनी अपनी राह
कभी हमराह थे
सफर को साथी थे
सुख - दुख बांटा था
साथ बैठे हंसे - खिलखिलाएं थे
कभी नाराज तो कभी मनुहार होता था
कभी हक जताया तो कभी गले लगाया
हर समस्या को मिल जुलकर सुलझाया
अपना कौन पराया कौन
जवानी जिनके साथ गुजारी
दिन के आधा उनके साथ बिताया
सहमित्र- सहकारी हमारे
हम न भूल पाएं उन्हें
सही है वह और सटीक भी
लो भूली दास्तां फिर याद आ गई
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