कुछ ऐसा देखा कुछ ऐसा सुना
समझ नहीं आता
मानव जीवन कैसा है
क्या है वह
उसका अस्तित्व
उसके हाथ में क्या
शायद कुछ नहीं
तिनका - तिनका जोड़ा
बड़े अरमानों से घर बनाया
कब लहरें आया सब बहा ले जाए
कब भूकंप आए सब तहस नहस कर डाले
गलती उसकी कुछ भी नहीं होती
दंड फिर भी भुगतता है
उसका जीवन उसके हाथ में है ही नहीं
भाग्य भी होता है क्या
कर्म और भाग्य के चक्कर में
वह चक्कर लगाता ही रहता है
अपने ही बुने जाले में फंसता रहता है
किस बात पर खुशी
किर बात पर दुखी
उसे समझ नहीं आता
वह करें क्या
हिमालय की कंदराओं में चला जाए
गृहस्थी को चलाने में लगा रहें
बहुत पैसा हो जाए
बहुत नाम हो जाए
फिर क्या ??
पल में खेल हो जाए तो ??
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