Tuesday, 11 March 2025

पल में खेला

मन में अजीब सा लग रहा है 
कुछ ऐसा देखा कुछ ऐसा सुना 
समझ नहीं आता 
मानव जीवन कैसा है 
क्या है वह 
उसका अस्तित्व 
उसके हाथ में क्या 
शायद कुछ नहीं 
तिनका - तिनका जोड़ा 
बड़े अरमानों से घर बनाया 
कब लहरें आया सब बहा ले जाए 
कब भूकंप आए सब तहस नहस कर डाले 
गलती उसकी कुछ भी नहीं होती 
दंड फिर भी भुगतता है 
उसका जीवन उसके हाथ में है ही नहीं 
भाग्य भी होता है क्या
कर्म और भाग्य के चक्कर में 
वह चक्कर लगाता ही रहता है 
अपने ही बुने जाले में फंसता रहता है 
किस बात पर खुशी 
किर बात पर दुखी 
उसे समझ नहीं आता 
वह करें क्या 
हिमालय की कंदराओं में चला जाए 
गृहस्थी को चलाने में लगा रहें
बहुत पैसा हो जाए 
बहुत नाम हो जाए 
फिर क्या ??
पल में खेल हो जाए तो ??

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