Monday, 30 April 2018

मन की बैटरी भी चार्ज करें

मन भी मोबाइल जैसा
कभी कभी इसकी भी बैटरी लो हो सकती है
कुछ करने का मन नहीं करता
मोबाइल बंद पड जाता है
या बैटरी मंद हो जाय
फिर से चार्ज कर लेते हैं
बाहर - भीतर फूकफाक कर लेते
मन भी बोझिल हो जाता
काम से थक जाता
तब इसे विराम दे
घूमने निकल जाय
नया सोचे
लोगों से जुड़े
बतियाये ,हंसे ,गाये
नये सिरे से सोचे
जीवन मे स्फूर्ति भरे
चार्ज होना जरुरी है
मशीन गर्म हो जाती
फिर यह शरीर तो रात   -दिन कार्यरत रहता है
मन तो सपने मे भी दौडता है
और यह ताउम्र चलता है
तो इसे भी विश्राम दे

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