Wednesday, 6 June 2018

भेदभाव

कल सब्जी खरीदने बाजार गई
सब्जी वाले से मोलभाव जम कर की
बाद मे फ्री मे धनिया मिर्ची भी डलवा ली
आज छूट्टी के दिन बाहर जाने का पोग्राम बना
फिल्म देखी फिर हाटेल मे खाना खाने गए
मेनू कार्ड आया
तमाम तरह के व्यंजन
अलग -अलग नाम
सब्जी तीन सौ रूपये
खाने का आर्डर दिया
छक कर खाना खाया गया
बिल पेमेंट किया और वेटर के लिए सौ रूपये टिप्स रखी
पूरा परिवार प्रसन्न था
घूमते घामते घर आए
पर एक विचार मन मे घूम रहा था
सौ रुपये मे दो/तीन सब्जी खरीदी
आज उतनी टिप्स दी
खुशी -खुशी
कोई झक झक नहीं
पर सब्जी वाले से???
कम से कम कराकर
एक प्लेट तीन सौ की
पर वहाँ कुछ बोलना नहीं
गरीब और मेहनत कश से मोलभाव
कम से कम वह इस गर्मी मे पसीना बहा रहा है
रास्ते पर तरबतर खड़ा है
उसका मूल्य नहीं समझ आता
यह भेदभाव हम क्यों करते हैं

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