Wednesday, 6 June 2018

बरतन और घर

घर मे बरतन रहते हैं
उनके बिना रसोईघर अधूरा
बरतन तो शान है इसकी
इसमे ही लजीज़ खाना बनता
भोजन बनाने से लेकर खाने तक
पर बरतन को आग मे जलना पडता है
कुछ जलते हैं चूल्हे पर
कुछ शोभा बनते हैं
कुछ केवल इधर उधर डोलते हैं
सब एक-दूसरे से टकराते हैं
आवाज भी आती है
पर एक भी न हो तो सब गड़बड़
तवा जलता है
बेलन बेलता है
तब जाकर रोटी का स्वाद आता है
भदेले मे दाल चावल
कढाई मे सब्जी
इन सबके साथ कलछी
सबका काम बटा हुआ
तब जाकर भोजन स्वादिष्ट हुआ
घर के सदस्यों की भी यही बात
सबकी अपनी अपनी भूमिका
पडोसी भी जरूरी
रिस्तेदार भी अहम
यह.सलाद और पापड़ की भूमिका निभाते
हर बरतन अनोखा है
उसका तरीका अनोखा है
योगदान अलग फिर भी सब एक
एक के बिना दूसरा अधूरा
दोस्त तो नमक जैसे
खाने का स्वाद बढ़ाते
भले सब अलग फिर भी है एक

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