Friday 15 June 2018

जब डाक आती थी

एक जमाना था डाक का इंतजार रहता था
डाकिया संदेश वाहक होता था
उसे देखने के लिए लालायित रहते थे
किसी के पिया का पैगाम
किसी का प्रेम पत्र
किसी के इंटरव्यू का कागज
भाई के लिए राखी
दूर गए पति का पत्नी के लिए पत्र मे पैसा
बच्चों के परीक्षा का परिणाम
रिजल्ट पाने के लिए उसके इर्दगिर्द घूमना
डाकिया को मिठाई खिलाना
वह भी घर के सदस्य जैसा
अब वह समय नहीं रहा
कुरियर और मोबाइल है
पर वैसा अपनापन नहीं

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