एक जमाना था डाक का इंतजार रहता था
डाकिया संदेश वाहक होता था
उसे देखने के लिए लालायित रहते थे
किसी के पिया का पैगाम
किसी का प्रेम पत्र
किसी के इंटरव्यू का कागज
भाई के लिए राखी
दूर गए पति का पत्नी के लिए पत्र मे पैसा
बच्चों के परीक्षा का परिणाम
रिजल्ट पाने के लिए उसके इर्दगिर्द घूमना
डाकिया को मिठाई खिलाना
वह भी घर के सदस्य जैसा
अब वह समय नहीं रहा
कुरियर और मोबाइल है
पर वैसा अपनापन नहीं
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Friday 15 June 2018
जब डाक आती थी
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