Friday, 6 July 2018

दिखावा कपडों का

एक समय था जब कपडे जरूरत होते थे
आज दिखावा बन रहे हैं
तब त्योहार का मौका होता या शादी-ब्याह
तब ही खरिदे जाते थे
और तब तक जब तक फट न जाय
दो या तीन जोड़ी
अब तो एक कपडा एक ही बार
ज्यादा से ज्यादा दो या तीन बार
घरवाले छोड़ दें तो
लोग क्या कहेंगे ??
संपन्नता का प्रतीक है और बन रहा है
सादा जीवन उच्च विचार का कुछ मायने नहीं
ब्रांडेड रहना चाहिए
हर किसी को दिखाना है
अलमारी भले कपडों से भरी हो
तब भी सुकून नहीं
सोचना पडता है
यह किस अवसर पर पहना था
कहीं लोग फिर से वही देखेगे तो
वृक्ष की छाल और पत्ते लपेटने से लेकर
आज ब्रांडेड कपडे
बहुत बडी और लंबी यात्रा
आज जरूरत नहीं
दिखावे के हिसाब से
पर यह कही घातक न साबित हो
मन मे हीन भावना का जन्म
सुंदर बनाता है कपडा
पर जीवनशैली पर भारी न हो
कपडा तो देखना है
पर व्यक्ति को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता .

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