Sunday, 19 August 2018

हर घर कुछ कहता है


हर घर कुछ कहता है

कुछ सीख देता है

जीवन के गुर सिखाता है

उसकी आवाज को सुनिए

दरवाजा कहता आया सदियों से
अतिथि का स्वागत करिये
घड़ी कहती रहती है हमेशा
काल को परखना सीख
समय के साथ चल
वरना समय आगे निकल जाएगा
तू पछताता रह जाएगा
खिड़की कहती है सदा
दूरदृष्टि रखें
आज का परिणाम भविष्य मे
दुनिया से आगे कुछ अलग कर
देवालय कहता
पवित्रता रखें ,मंगल कार्य करें
आस्था मे बड़ी शक्ति
छत कहता रहता आया
तू मुझे देख
मुझ जैसा बन
ऊंची आंकाक्षा, उच्च विचार
जीवन को ऊंचाई पर ले जाय
पर धरती कहती
अपने पैर जमीन पर ही रखें
अपनी धरती से जुड़े रहे
इतना ऊंचा न उडे़
कि फिर धम्म से नीचे आ गिरे
अपनी औकात और सीमा मे रहे
समय बड़ा बलवान
कब फर्श से अर्श और अर्श से फर्श तक पहुंचा देगा
कहना मुश्किल है
पर माता तो गोद मे ले दुलराए़गी
अपनी जड़ों से मत कटना
  

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