Friday, 24 August 2018

धरती और आसमान

थरती और आसमान का मिलन
आसमान को नीचे आने का अहसास
धरती को कराना. है
झुक आया आसमान
तभी तो यह छटा दिख रही लाजवाब
बादल उमड़ -घूमड़ कर गवाही दे रहे
वृक्ष भी झुक कर प्रणाम कर रहे इस मिलन को
मखमली चादर बिछ रही
हरियाली लहरा रही
फसलों में
अन्न उपजा रही है धरती सीना चीर
शुभ्र मोती लपेट नीला आसमान
निहार रहा
यह अनोखी अदा प्रकृति की
सबकी मनभावन
क्षितिज पर ही सही
मिल तो रहे हैं
साथ रहने का अहसास तो करा रहे
अकेले तो इतनी शोभा नहीं
जो साथ रहने के अहसास का है
माता है धरती
पिता है आसमान
और इनका साथ कौन नहीं चाहेगा
एक छत्रछाया बन खड़ा
दूसरी आधार दे रही
मजबूती से खडा कर रही
यह दोनों आश्वासन दे रहे
हम जब तक साथ है
आप सही सलमान है
निश्चिंत रहे
जीवन जी भर जीए

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