Saturday, 8 December 2018

बेमिसाल है फूल

फूल कितना कोमल होता है
उसकी पंखुड़ियां तो और भी कोमल
जोर से छुओ तब भी कुम्हला जाए
कांटों मे खिलता है
फिर भी निखरता है
कोमल है
तब भी झंझावात का सामना करता है
अपनी सुगंध फैलाता है
एक या दो दिन की जिंदगी
पर बहुत कुछ दे जाता है
तितलियां मंडराती है
भौरें रस ग्रहण करते हैं
इंसान बालों मे लगाता है
घर द्वार सजाता है
शादियों मे शोभा
रंगोली मे विद्यमान
ईश्वर के चरणों मे भी चढ़ता
भगवान के मंदिर की सजावट मे भी शामिल
प्रेमियों के तो दिल मे बसता
प्रेम का आदान प्रदान
इतना सब कुछ देता है
अंत मे कूडेदान मे
सब कुछ हंसते मुस्कराते हुए
उसका जीवन ही यही है
फिर चाहे वह फूल हो या उसकी कली
सुगंध ,खुशबू ,सौंदर्य का नाम ही है फूल
देना उसका स्वभाव
जिंदगी छोटी ही सही
सार्थक तो है
बेमिसाल है

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