Saturday, 8 December 2018

प्रसव पीड़ा

प्रसव पीड़ा बहुत वेदनादायक
फिर भी सुखदायक
माता बनने का सौभाग्य
जिंदगी भले ही जोखिम मे डाल
नवजात का आगमन
वह ईश्वर का अनमोल उपहार
माता गर्भ मे रखती है
नव महीने भार उठाती है
सब वह खुशी खुशी करती है
उसके चेहरे पर चमक
भले ही वह पेट मे ही लात मारना शुरू करता है
बाहर आता है
तब उसकी देखभाल मे जीवन समर्पित
उसकी खुशी मे खुश
उसके दुख मे दुखी
उस पर आँच नहीं आने देती
भले ही संतान कैसी भी हो
पर माता  का प्रेम कम नहीं होता
क्योंकि जन्म के समय वह प्रसवपीड़ा से गुजरी है
अपने रक्त से सींचा है
वह उसकी जान है
जान क्या जान से भी प्यारा
सारा संसार एक तरफ
संतान एक तरफ
उसके लिए तो सारी दुनिया से लड़ जाय
संतान भले ही कैसी भी हो
पर मां का प्रेम तो अनमोल

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