सामने विशाल सागर लहरा रहा
हिलोरें ले रहा
लहरें उछाल मार रही
सीमा तोड़ बाहर आने को बेताब
आ रही पत्थरों से टकरा रही
वापस लौट जा रही
जाते - जाते पत्थरों को कमजोर भी करती जा रही
धीरे - धीरे यह ध्वस्त होता जाएगा
और अंत मे टूकडों मे परिवर्तित
यह चट्टान है
पत्थर है
कठोर है
बलवान है
पानी तो कोमल है
सरल है
लेकिन इतनी ताकत है
विशालकाय चट्टान से टकराने की
यह दृढ़ इच्छाशक्ति है
जिसके सामने सब दम तोड़ दे
पत्थर रास्ता रोक देगा
पर पानी उस रोकने वाले को ही तोड़ देगा
वह बह रहा है अनवरत
अचल और स्थिर नहीं
गतिशील है
तभी सभी चट्टानों को तोड़ आगे बढ़ रहा है
प्रवाहित है
समावेशी है
निरंतर - अनवरत बहना
सारे बाधाओं का सामना
चलते रहना
बहते रहना
अपना रास्ता स्वयं बनाना
यही तो लक्ष्य है जीवन का
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Friday, 11 January 2019
जीवन लक्ष्य
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