हवा चल रही है
सुहावनी सुबह को और मस्तानी बना रही है
गर्मी से निजात मिली
मन भी प्रफुल्लित
सारी प्रकृति आनंदमय
सब बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहे थे
हौले हौले से चलती है
कुछ कानों में कह जाती है
धीरे से गुनगुना जाती है
मस्ती में झूमती जाती है
सबको मदमस्त किये जा रही
कह रही है मानों
मैं हवा हूँ
स्वतंत्र हूँ
बंधन मुक्त हूँ
अपनी इच्छा से विचरण करती हूँ
मनमानी करती हूँ
मुझे कोई बांध नहीं सकता
मेरी मेहरबानी पर सबका जीवन
मेरा सम्मान करो
मैं जीवन दे भी सकती हूँ
ले भी सकती हूँ
सबकी सांसे मुझसे संचालित
मुझे जगह दो
विचरण के लिए
घुटना मेरा स्वभाव नहीं
जब तक खुश हूँ
तब तक खुशियाँ रहूँगी
अपनी सुगंध फैलाती रहूँगी
मैं हवा जो हूँ
घुमक्कड़ी हूँ
आसमान से धरती तक मेरा ही साम्राज्य
मुझे न रोको
मुझे न टोको
बस बहने दो
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Wednesday, 12 June 2019
बस बहने दो
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