Tuesday, 19 May 2020

बस यही प्रार्थना

सुबह का सूरज
सर पर छत
खाने के लिए भोजन
आरामदायक नींद
चैन और शांति
अपनों का साथ
अब और क्या चाहिए
यही क्या काफी नहीं
हम घर पर हैं
खा पी रहे हैं
जी रहे हैं
यह भी तो वरदान है
वर्तमान समय में यह भी तो कितनों को नसीब नहीं
हाय हाय कर रहे थे
आज ऐसी लोगो की दुर्दशा देखकर लगता है
हमारी स्थिति तो बहुत अच्छी है
अब लगता है
ईश्वर ने जो भी दिया
जितना भी दिया
जैसे भी दिया
वह सब बहुत है
जीवन दिया है
सांसें दी है
सही सलामत हाथ पैर दिए हैं
तब उसका बहुत बहुत आभार
ईश्वर यह कृपा सब पर बनाए रखें
अपनों पर
बागानों पर
सारे विश्व पर
जो मुसीबत में है
उनको निजात मिले
बस यही प्रार्थना

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