Tuesday, 19 May 2020

कुछ तो करो सरकार

मैं दर्पण हूँ
कुछ छिपा नहीं सकता
जो है जैसा है
वैसा ही बयां करता हूँ
इंसान की तरह नहीं
करता कुछ
कहता कुछ
मन तो एक दर्पण है
इस दर्पण में झांक कर देखें
क्या आप खुश है
जो हाल लोगों का हो रहा है
उससे दिल नहीं कचोटता
डिबेट में बैठकर तर्क वितर्क
ओछी राजनीति
एक दूसरे पर दोषारोपण
राज्य सरकार पर
विपक्ष पर
आरोप प्रत्यारोप
यह बड़बोलापन का समय नहीं
लोगों की पीड़ा को समझने का समय
प्रयास तो कीजिए
इतना हदयहीन मत हो जाइए
इन गरीबों के तो आप ही माई बाप है
तभी तो वोट दिया है
सत्ता पर आसीन किया है
क्या झूठ बोलते हुए डर नहीं लगता
विपक्ष से मत डरो
भगवान से तो डरो
उनको भगवान भरोसे मत छोडो
यह जिम्मेदारी आपकी बनती है
यह तो आपका दिल भी मानता होगा
तब उस पर परदा मत डालों बातों का
यह राजनीति करने का समय नहीं है
न ही चुनावी रैलियों को संबोधित करने का
रैली के लिए सारा इंतजाम
मंच - कुर्सी से लेकर बस और नाश्ते तक का
यहाँ तक कि रूपए और शराब - कबाब का भी
तब अब इस समय क्या हो गया
पहले अपने लिए सब किया
अब तो इस विपत्ति में इनके लिए करों

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