Monday, 14 December 2020

साथ निभाती वह माटी

पौधा मिट्टी से जो एक बार जुड़ा
फिर कभी अलग न हो पाया
मिट्टी बिना वह जी ही नहीं पाएंगा
अगर उखाड़ कर एक जगह से दूसरी जगह
तब भी मिट्टी संग लिपटी ही रहती है
यह साथ कभी छूटता नहीं
नाल काटकर अलग कर दिया जाता है
माता और बच्चे का
उनकी जिंदगी अलग अलग हो जाती है
यहाँ तो यह अपनी जडो मे ही रहता है
फलता फूलता है
बडा होता है
मिट्टी उसको संभाले रहती है
मिट्टी की ओर किसका ध्यान नहीं जाता
वह तो उपेक्षित सी
जिस दिन मिट्टी साथ छोड़ दे
यह ज्यादा दिन जी नहीं पाएंगा
उसकी सांस मिट्टी के दम पर
वह प्यार जो करती है
उखाड़ने पर भी लिपटी ही रहती है
उसे मालूम है
मेरे बिना यह रह नहीं पाएंगा
खुरपी से खोदी जाती है
पानी मे डुबायी जाती है
सब कुछ सहती है
वह प्यार जो करती है
यह अनमोल रिश्ता
बहुत संभालना पडता है
अपनी जडो को पकड़ना पडता है
साथ निभाती वह माटी
नहीं दूजा कोई वैसा साथी

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