Monday, 14 December 2020

जीऊ और जीने दूं

नहीं चाहता मान सम्मान
नहीं चाहता नमस्कार प्रणाम
बस थोड़ा सा चाहता
प्यार और अपनापन
नहीं चाहता सहानुभूति
बस बना रहें
आत्मसम्मान
नहीं चाहता किसी की दुआ
बस ईश्वर की बनी रहे कृपा
नहीं चाहता
संपत्ति का ढेर
बस उतना ही दे दाता
जिससे हो उदर निर्वाह
नहीं चाहता
जिल्लत और जलालत
बस बना रहूँ
स्वयं का आधार
इतना तो हो
यह हाथ कभी न फैलाऊ
मांगने वाले की झोली मे कुछ डाल जाऊं
नहीं दे कोई आदर
पर न करें निरादर और तिरस्कार
बस स्वयं पर विश्वास रहें
स्वनिर्भर - आत्मनिर्भर
बना रहूँ
जीऊ और जीने दूं

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