अजगर करें न चाकरी, पंछी करें न काम
दास मलूका कह गए सबके दाता राम
एक व्यक्ति था वह बहुत आलसी था । अगर उसे खाना मिल जाता पेट भर तो वह पडा ही रहता दिन भर ।
घरवालों को नागवार गुजरता था कि पडे - पडे रोटी तोडने के सिवाय कुछ काम नहीं है ।
एक दिन वह ऊब कर घर से निकल पडा । जंगल के रास्ते से जा रहा था शाम हो गई थी ।अचानक एक शेर की दहाड़ सुनाई पडी ।सब जानवर यहाँ- वहाँ भागने लगे ।
बंदर उछल कूद करने लगे । हिरन कुलांचे भर भागने लगे । पूरा दहशत का माहौल हो गया था ।यह व्यक्ति भी एक पेड़ पर चढ छिप कर बैठ गया
जंगल का राजा आया उसके मुख में शिकार था वह खाने लगा । थोड़ी दूर पर एक बूढा सियार बैठा था । शेर ने अपना खाना पूरा किया और कुछ छोड़ दिया। वह वहाँ से चला गया । सियार आया बचा हुआ मांस खा लिया। वह व्यक्ति वही जंगल में एक झोपड़ी बनाकर रहने लगा ।
रोज शेर उस जगह आता और सियार के लिए छोड़ जाता सोचा भगवान तो खाने का इंतजाम कर ही देंगे। फिर मेहनत क्यों करूँ। वह इंतजार में रहता पर खाना नहीं मिलता । कुछ फल वगैरह खाकर गुजारा कर रहा था पर यह कितने दिनों तक चलता । वह कमजोर होता गया ।एक दिन वहाँ से एक महात्मा गुजरे और झोपड़ी के सामने खडे हो आवाज लगाई। जिसके खुद ही लाले पडे हो वह किसी को क्या भिक्षा देगा । वह बाहर आया और महात्मा जी से अपना दुखडा कहने लगा ।भगवान को कोसने लगा । कहने लगा भगवान मेरे साथ नाइंसाफ़ी कर रहे हैं
वह मेरी कोई मदद नहीं करते।
उसने उन्हें शेर और सियार की बात बताई
महात्मा ठठाकर हंस पडे
कहने लगे भगवान चाहते हैं तुम भी शेर बनो
इतना करों कि तुम दूसरों का पेट भर सको
न बूढे हो न अपाहिज हो
तब काम करों
शेर जैसे अपना शिकार सियार के लिए रख जाता है वैसे ही तुम भी किसी भूखे का पेट भरो
ईश्वर न करें मांगने की नौबत आए
यह हाथ देने वाला हो लेने वाला नहीं
इतना काबिल स्वयं को बनाना है
किसी की दी हुई भी भीख पर आश्रित रहना ,यह तो बहुत लज्जास्पद है ।
व्यक्ति महात्मा जी के चरणों पर गिर पडा
वापस अपने गांव लौट आया
मेहनत से खेती करने लगा
अन्न उपजता । परिवार भी खुश रहता
द्वार पर से किसी भिक्षुक को खाली हाथ न जाने देता
अब उसे लग रहा था काम का महत्व
आदर - सम्मान भी मिल रहा था
घर और बाहर दोनों
तो मित्रों पेट तो भर ही जाता है किसी न किसी तरह
पर हम केवल पेट भरने के लिए ही नहीं जन्में हैं।
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Tuesday, 29 June 2021
कर्म किए बिना गति नहीं
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