हम भी बाल दिवस मनाते थे
एक हफ्ते पहले से ही तैयारी में जुट जाते थे
क्या क्या करना है
उसका पोग्राम बनाते थे
बहुत सी प्रतियोगिता होती थी पाठशाला में
हम उनमें भाग लेते थे
कभी कहानी कभी निबंध
कभी चित्रकला कभी नृत्य
कभी वाद विवाद प्रतियोगिता कभी नाटक का मंचन
साज सज्जा और कपडों की रहती थी तैयारी
चाचा नेहरु हमको बहुत भाते थे
उनके कोट में लगा सुर्ख लाल गुलाब
बरबस ही अपना ध्यान खींचता था
उनको हमने देखा तो नहीं था
फिर भी दिल के करीब लगते थे
अपनापन महसूस होता था
भारत के हर बच्चे के चाचा थे वे
नाम था उनका जवाहरलाल
आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री
बच्चों में भविष्य देखते थे
Child is the father of the Nation
हम भी अब बडे हो गए हैं
तब भी चाचा नेहरू तो हर चौदह नवम्बर को याद आते हैं
पहले हम मनाते थे अब हमारे बच्चे बाद में उनके बच्चे
चाचा नेहरु अमर रहें
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Sunday, 14 November 2021
चाचा नेहरु अमर रहें
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