मुझे लगता है
इंसान एक जोकर है
जो अंदर से रोता है
बाहर से हंसता है
लोगों को हंसाता है
उसकी अपनी दुनिया कुछ और
बाहर की दुनिया कुछ और
एक मुखौटा ओढे हुए हर इंसान
दोहरा चरित्र जीता है
हाथी के दांत खाने के और दिखाने के और
कमोबेश यही हाल उसका है
यह काम इतना आसान नहीं
बेहतरीन अभिनेता होता है
वह कब क्या करेंगा
यह तो कोई नहीं जानता
हर पल रूप बदलता है
जीवन के इस रंगमंच पर अपनी छाप छोड़ जाता है
किसी को अंदाजा ही नहीं
एहसास भी नहीं होता
वह कुछ भी कर जाता है
हर अभिनय में माहिर
हर पात्र को भरपूर जी भर जीता है
कभी हंसता है
कभी मुस्कराता हैं
कभी जोरदार ठहाके लगाता है
यह सही हो
जरूरी नहीं
दिखावट और बनावट
यह तो उसके गुण हैं
मुझे लगता है
इंसान एक जोकर है
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Sunday, 19 December 2021
मुझे लगता है
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