Saturday, 18 December 2021

उफ । यह आजकल के बच्चे

गडबड कहाँ हुई
उफ । यह आजकल के बच्चे
बस अपनी ही दुनिया में खोए रहते
नहीं किसी का कहना मानते
माता - पिता को कुछ नहीं समझते
हर बात में तिनकना
हर जिद पर अडना
माता - पिता को हमेशा जलील करना
हर बात में उनकी औकात बताना
उनकी कमजोरियों को गिन गिन कर उजागर करना
डरने की तो बात ही छोड़ दो
उनसे तो डरते माता - पिता
दबते हैं पालक
तबियत खराब हो या और कुछ
पानी - खाना भी तुमको ही देना है
वे पानी क्या देंगे
मुंह से मांगना भी अपराध हैं
जैसे वे गार्जियन नहीं नौकर हो
हर फरमाइश पूरा करना उनका कर्तव्य
चाहे वो कुछ भी करें
कहाँ से भी लाएं
तब भी खुश नहीं
कहते हैं
जमाना बदल गया तब ये भी बदल गए
पहले माँ- बाप बात सुनाते थे
अब बच्चे सुनाते हैं
मारना- पीटना तो दूर रहा
बोलना और पूछना भी अपराध है
फिर भी यह शिकायत
हमको कोई छूट नहीं है
अपनी मर्जी अभिभावक पर थोपते हैं
अभिभावक भी प्यार की सजा भुगतते हैं
अपना हैं इसलिए सब सहते हैं
तब भी इनको एहसास नहीं
कर्तव्य की बलिवेदी पर चढते अभिभावक
बच्चों को जन्म देने का दंड भुगतते
ये ही हमेशा सही माता - पिता गलत
अपने हैं तभी सब सहते हैं
उफ । यह आजकल के बच्चे।

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