मीठू मीठू बोलता तोता
कांव कांव बोलता कौआ
ची ची करती चिडियाँ
इनके बीच भौ भौ करता कुत्ता
यह सब आवाजें सुनने के हम आदी
कुछ फर्क ही नहीं पडता
ये बोले जा रहे हैं
अपनी धुन में हम भी चले जा रहे हैं
कभी कुछ अच्छा लगा
कभी कुछ नहीं भी लगा
कभी इरिटेट भी हुए
तब भी अपना काम करते रहें
वैसे ही इस सफर में बहुत लोग मिलते हैं
कुछ मीठे कुछ कडवे कुछ तीखे भी बोलते हैं
क्या फर्क पड़ता है
हम अपना काम करें
वे उनका काम
क्योंकि उनका तो यही काम है
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