Wednesday, 8 December 2021

मैं कौन हूँ

मैं नाजुक हूँ
कोमल हूँ
पर कमजोर नहीं
चट्टानों से टकराने का हौसला रखती हूँ
उसकी छाती को चीर कर बाहर निकलती हूँ
अपना परचम फहराती हूँ
कोई मुझे रोक नहीं सकता
धूप - झंझावात का सामना करती हूँ
थपेडों खाती हूँ
पर अपनी जगह पकडे रखती हूँ
इतनी जल्दी हार नहीं मानती
सहनशक्ति मेरी कमजोरी नहीं मेरी ताकत है
बडो बडो को झुका देती हूँ
प्रेम से अपनेपन से
यह सब तुरंत नहीं होता
बरसों का मेहनत और प्रयास
जब मेरी तपस्या रंग लाती है
तब तो धुरी मेरे ही हाथ में
पहले मैं नाचती थी
अब सब मेरे इशारों पर
मेरी अनुमति के बिना तो पत्ता भी नहीं हिलता
कहने को तो मालिक कोई और कहाता है
असली स्वामिनी तो मैं ही हूँ
एक पीढ़ी को दूसरे पीढी से जोडने की कडी हूँ
अब तो पहचान गए होगे
मैं कौन हूँ

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